संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

कबीर ने अपनी रचना के माध्यम से समाज एवं मनुष्य के मन एवं आँखों पर पड़े धर्म, संप्रदाय एवं संसारिकता के परदे को अपनी इस रचना के माध्यम से हटाने की कोशिश की है| इस रचना में कबीर ने मनुष्य को इस संसारिकता के बंधनों, धार्मिक अंधविश्वास आदि से मुक्त होकर प्रभु भक्ति में लीन होने के बारे में मनुष्य को बताया है| कबीर ने बताया है कि प्रभु की भक्ति ही श्रेष्ठ है और मनुष्य को सच्चे मन से प्रभु की भक्ति में लीन रहना चाहिए|


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